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आंवला Hybrid Amla (Indian Gooseberry)

$100.00

SK नर्सरी हाउस बीकानेर में आँवला के पौधे थोक दर पर उपलब्ध है। इसे इंडियन गोसबेरी भी कहा जाता है। विकसित आंवले का पेड़ 0 से 46 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सहन कर सकता है और सर्दी में पाले का भी ज्यादा असर नहीं होता है। यह लगभग एक से दो क्विंटल तक फल देता है।

पौधा रोपण: जुलाई से सितंबर तक आंवला लगाने का सर्वोत्तम समय है

उपज: प्रति पेड़ लगभग 100 से 200 किलो तक उपज प्राप्त हो सकती है

विशेषताएं: आंवला की खेती नम और शुष्क दोनों जलवायु में की जा सकती है

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राजस्थान में बड़े पैमाने पर आंवला की खेती होती है। आंवला के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, इसलिए इसकी व्यवसायिक खेती किसानों के लिए लाभदायक होती है। राजस्थान की जलवायु आंवले की खेती के लिहाज से सबसे उपयुक्त मानी जाती है। आंवले को किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है। आँवला का पौधे के आसपास दूसरे आँवले का पेड़ होना भी आवश्यक है तभी उसमें फल लगते हैं। पूर्ण विकसित आंवले का पेड़ 0 से 46 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक सहन करने की क्षमता रखता है।

अच्छे प्रकार से रख-रखाव से 50 से 60 साल तक पेड़ फल देता है। एक पूर्ण विकसित आंवले का पेड़ एक से तीन क्विंटल फल देता है। आंवले को बीज के उगाने की अपेक्षा कलम लगाना ज्यादा अच्छा माना जाता है। कलम पौधा जल्द ही मिट्टी में जड़ जमा लेता है और इसमें शीघ्र फल लग जाते हैं। कम्पोस्ट खाद का उपयोग कर भारी मात्रा में फल पाए जा सकते हैं। आंवले के फल विभिन्न आकार के होते हैं। छोटे फल बड़े फल की अपेक्षा ज्यादा तीखे होते हैं।

आंवला छोटे आकार का और हरे रंग का फल होता है। इसका स्वाद खट्टा होता है। आयुर्वेद में इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आंवला विटामिन 'सी' का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत है। इसमें मौजूद विटामिन 'सी' नष्ट नहीं होता है। आंवला चर्बी कम करके मोटापा दूर करता है। सिर के बालों को काला, लंबा और घना रखता है। विटामिन सी एक ऐसा नाजुक तत्व है जो गर्मी के प्रभाव से नष्ट हो जाता है।

आंवला के पौधों को अच्छी तरह विकसित होने के लिए भरपूर धूप की जरूरत होती है। 1 साल पुराने आंवले के पौधे के लिए हर महीने कुछ मात्रा में उर्वरक और खाद देते रहें। आंवले के पौधे को वर्षा ऋतु में सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती। मार्च माह में जब नई कोपले निकलने लगे तो सिंचाई करना आरंभ कर देना चाहिए। जून माह तक पन्द्रह दिन के अन्तराल से सिंचाई करें। जल असिंचित क्षेत्रों में जहाँ पर अन्य उद्यानिकी फसलें न ली जा सकती हो उनका उपयोग आंवला रोपण करके किया जा सकता है।

आंवला की खेती नम और शुष्क दोनों जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है। और सर्दियों में पाले से पहले दो से तीन साल तक पौधे को बचाना जरूरी है। बाद में इस पर पाले का ज्यादा असर नहीं होता है। जनवरी के महीने में आंवला पूरी तरह से पक जाता है, इस समय फलों को तोड़ लेना चाहिए। जब फल के रंग में पीलेपन या लाली के साथ परिवर्तन हो तो समझ लेना चाहिए कि फल पक चुका है।

Hybrid plant nursery in Bikaner
SK Nursery House deals in bulk order of Amla, Indian Gooseberry in Rajasthan, Gujarat, Haryana, Punjab, U.P and rest of India

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