अशोक वृक्ष SK नर्सरी हाउस बीकानेर में होलसेल दर पर मिलता है। अशोक वृक्ष पूरे भारत में पाए जाने वाले सबसे प्राचीन और पवित्र पेड़ों में से एक है। अशोक में विभिन्न औषधीय गुण हैं, विशेष रूप से इसकी छाल और पत्ते। इसका अंग्रेजी नाम Saraca Asoca है।
अशोक का पेड़ कई तरह के स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरा होता है। यह पेड़ सुन्दर व पवित्र होने के कारण अक्सर लोगों के घरों में भी पाया जाता है। हालांकि अक्सर लोग घरों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए इस पेड़ को लगाते हैं। इसके कई औषधीय लाभ भी हैं। अशोक के पेड़ की छाल और पत्तियों में कई स्वास्थ्य लाभ छिपे होते हैं। अशोक के पेड़ को सर्दियों में 15-20 दिन में पानी दें। सप्ताह में एक बार पानी एक महीने के बाद पर्याप्त है। जब आप कम पानी देते हैं तो पेड़ की जड़ पानी की तलाश में बढ़ती है और पेड़ भी तेजी से बढ़ता है। पानी देने की विधि से आप अशोक के पेड़ की वृद्धि को नियंत्रित कर सकते हैं।
अशोक का पेड़ (अंग्रेजी: सरका अशोका) हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथों को पूरा करने वाला माना जाता है। अशोक का शाब्दिक अर्थ है "किसी भी प्रकार का कोई दुःख नहीं"। यह पवित्र वृक्ष जहां भी स्थित होता है, वहां किसी भी प्रकार का कोई दुख या अशांति नहीं होती है।
अशोक के पत्तों का उपयोग मांगलिक और धार्मिक कार्यों में किया जाता है। यह वृक्ष पवित्र होता है, जिसके कारण अशोक वृक्ष जहां भी उगता है, वहां सभी कार्य पूर्ण रूप से निर्बाध रूप से पूर्ण होते चले जाते हैं। इसी कारण भारतीय समाज में अशोक के वृक्ष का बहुत महत्व है। अशोक के पेड़ दो प्रकार के होते हैं Polyalthia Longifolia (नकली अशोक) & Saraca Asoca (असली अशोक) दोनो एक जैसे होते हैं लेकिन नकली अशोक लंबाई में बढ़ता है और असली अशोक चौड़ाई में बढ़ता है।
अशोक के पेड़ की दो प्रजातियां होती हैं, जिनमें एक प्रजाति को घरों में सजावट के लिए लगाया जाता है और दूसरी प्रजाति के पौधों से आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। आप घरों के आस-पास जो अशोक के पेड़ देखते हैं, वे सभी सजावटी पौधे हैं। अशोक को बंगला में अस्पाल, मराठी में अशोक, गुजराती में आसोपालव तथा देशी पीला फूलनों, सिंहली में होगाश तथा लैटिन में जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica) कहते हैं।
अशोक का पेड़ 25 से 30 फीट ऊंचा, कई शाखाओं वाला घने और छायादार होता है। इसका तना कुछ लाली के साथ भूरे रंग का होता है। यह पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है। इसके पल्लव 9 इंच लंबे, गोल और नुकीले होते हैं। वे साधारण डंठल के दोनों ओर 5-6 जोड़े में पाए जाते हैं। पत्तियाँ सूखने पर लाल हो जाती हैं। फल वसंत ऋतु में आते हैं। पहले थोड़ा नारंगी, फिर धीरे-धीरे लाल हो जाते हैं।