Organic Feed for Goat /Sheep /Camel & Cattle
खेजड़ी मवेशियों के चारे का एक प्रमुख स्त्रोत है। इसे थार का कल्पवृक्ष / कल्पतरु भी कहते है। खेजड़ी के पत्तों को लूंग या लूम कहते है। खेजड़ी के गीले व सूखे पत्ते दोनों ही चारे के रूप में काम आते है। खेजड़ी पर मार्च अप्रेल में हरे व पिले रंग के पुष्प आते है। मई जून में फलियाँ लगनी शरू हो जाती है। मवेशी पत्तियाँ, फूल व फलियाँ सभी खाते है। खेजड़ी पेड़ से चारा, भोजन, सब्जी, लकड़ी आदि मिलते है, तथा इसके आयुर्वेदिक व औषधीय उपयोग भी है। खेजड़ी का वृक्ष अत्यधिक तापमान 48°c से लेकर न्यूनतम तापमान 3°c तक सहन कर सकता है। थार शोभा खेजड़ी एक वर्ष में 3-4 फ़ीट तक बढ़ता है। इसकी ऊंचाई 7-8 फ़ीट तक हो सकती है। तीन साल में ही इससे पत्तियों का चारा, सांगरी मिलने लग जाती है। देशी खेजड़ी में कांटे होते है जबकि थार शोभा में कांटे नहीं होते है। जिससे की इसकी पत्तियां, सांगरी, लकड़ी तोड़ने में आसानी रहती है। इसकी सुखी फलियों को सांगरी कहते है। खेजड़ी भेड़, बकरी, ऊँट का मुख्य चारा है। एक खेजड़ी से एक वर्ष में 20-25 किलोग्राम चारा मिल सकता है।
खेजड़ी या शमी का पौधा लगभग सभी जगह पर लगाया जा सकता है।
खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो मवेशी के चारे के लिए बहुत उपयोगी है। पुरे भारत में शमी के नाम से जाना जाता है। खेजड़ी या शमी के अन्य नामों में जांट/जांटी, सांगरी (राजस्थान), छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती), बन्नी ट्री/वन्नी मराम/बन्नी मारा (कर्नाटक) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया (Prosopis cinerea) नाम से जाना जाता है।
बकरी/भेड़/ऊंट/मवेशी के लिए जैविक चारा अन्य खाद्य पदार्थों के स्वाद और पाचनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। प्राकृतिक पौधों खेजड़ी के पत्ते (लुंग) के साथ एक चारागाह बकरी उत्पादन और स्वास्थ्य के लिए बहुत स्वस्थ और प्रभावी है। बकरी के चारा खाने का एक विशेष तरीका होता है, जो इसे अन्य जुगाली करने वाले जानवरों से अलग करता है। बकरी के ऊपर के होठ गतिशील व जीभ बहुत अधिक परिग्रही होती है। जिसकी सहायता से यह बहुत ही छोटी छाल व पत्तियाँ आसानी से खा लेती है। जबकि अन्य मवेशी छोटी पत्तियाँ नहीं खा सकते है। मवेशी के आहार में आधा भाग दलहन व आधा भाग हरी घास व पत्ते होने चाहिए।
एक सफल बकरी पालन व्यवसाय के लिए ताजा और पौष्टिक बकरी का चारा बहुत आवश्यक है। बकरियां जुगाली करने वाले जानवर हैं। वे लगभग सभी प्रकार के पौधे, पत्ते, घास आदि खाते हैं। बकरी पालन व्यवसाय आमतौर पर बकरी के दूध के लिए होता है, इसलिए उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले संतुलित और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। उनके आहार में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का पर्याप्त अनुपात सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सामान्य चारे के अलावा, चरागाह घास, पेड़ों के पत्ते, झाड़ियाँ, कुछ फलियाँ और फल बकरियों के लिए सबसे अच्छे चारे के रूप में प्रचलित हैं। जिसमें मुख्य रूप से खेजड़ी, बेर, बाबुल, पीपल, नीम आदि बकरियों को अच्छा चारा उपलब्ध कराते हैं। मुख्य रूप से लूंग (खेजड़ी / शमी के पत्ते), पाला (बेर के पत्ते) का चारा खाना पसंद करते हैं जो उन्हें ऊर्जा देता है और प्रोटीन से भरपूर होता है। अन्य चारे मौसम के अनुकूल दिए जाते है। जबकि खेजड़ी के पत्ते (लूँग) पुरे वर्ष दिए जाते है।
लूंग चारा पौष्टिक होता है इसमें प्रोटीन व ऊर्जा से भरपूर मात्रा में होती है। जो पशुओं में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढाती है। लूंग चारा मवेशियों के लिए लाभदायी व गुणकारी होता है। खेतों, चरागाहों में प्राकृतिक रूप से उगी हुयी खेजड़ी की साल में दो बार छंटाई की जा सकती है, जिससे भेड़ और बकरियों के लिए हरा चारा लिया जा सके। खेजड़ी बकरी, भेड़ और ऊंट के लिए एक महत्वपूर्ण पेड़ है। खेजड़ी के पत्ते मुख्य रूप से दुधारू पशुओं को देना चाहिए। मवेशी लूंग को बड़े चाव से खाते है क्योंकि यह पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। भेड़, बकरी और ऊंट भी अन्य चारे के बजाय खेजड़ी के पत्तों का चारा पसंद करते हैं। सांगरी पशुओं के लिए भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। इसमें प्रोटीन और शर्करा होता है। लूंग के लिए थार शोभा खेजड़ी की व्यावसायिक खेती भी की जाती है। इससे वर्ष में तीन बार चारा प्राप्त किया जा सकता है। थार शोभा खेजड़ी की व्यावसायिक खेती किसानों, पशुपालकों, पशुओं और पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक और उत्तम खेती है।